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कभी हम में तुम में भी चाह थी कभी हम से तुम से भी राह थी
कभी हम भी तुम भी थे आश्ना तुम्हें याद हो कि न याद हो
इस महफ़िल-ए-कैफ़-ओ-मस्ती में इस अंजुमन-ए-इरफ़ानी में
सब जाम-ब-कफ़ बैठे ही रहे हम पी भी गए छलका भी गए
“आ गया ‘जौहर’ अजब उल्टा ज़माना क्या कहें
दोस्त वो करते हैं बातें जो अदू करते नहीं..”
More Shayari
Motivational Shayari

हीरे की काबिलियत रखते हो, तो अंधेरे में चमका करो,
रोशनी में तो कांच भी चमका करते है।
~ अज्ञात
नहीं तेरा बसेरा क़सर-ए-सुल्तानी के गुम्बद पर,
तू शाहीन है, बसा पहाड़ों की चट्टानों पर।

हीरे की काबिलियत रखते हो, तो अंधेरे में चमका करो,
रोशनी में तो कांच भी चमका करते है।
~ अज्ञात
लोग चुन लें जिस की तहरीरें हवालों के लिए,
ज़िंदगी की वो किताब-ए-मो’तबर हो जाइए।

हीरे की काबिलियत रखते हो, तो अंधेरे में चमका करो,
रोशनी में तो कांच भी चमका करते है।
~ अज्ञात

हीरे की काबिलियत रखते हो, तो अंधेरे में चमका करो,
रोशनी में तो कांच भी चमका करते है।
~ अज्ञात
Festival Shayari

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

“बिजली इक कौंध गयी आँखों के आगे तो क्या,
बात करते कि मैं लब तश्न-ए-तक़रीर भी था।…”
~ मिर्ज़ा ग़ालिब
“बिजली इक कौंध गयी आँखों के आगे तो क्या, बात करते कि मैं लब तश्न-ए-तक़रीर भी था।…”
“ज़िन्दगी का हर पल सुख दे आपको, दिन का हर लम्हा ख़ुशी दे आपको, जहाँ गम की हवा छू के भी ना गुजरे, खुदा वो ज़िन्दगी दे आपको! जन्मदिन की बधाई हो!!”

मैं एक लम्हा था और नींद के हिसार में था
फिर एक रोज़ किसी ख़्वाब ने जगाया मुझे
~ dear nabeel
मैं एक लम्हा था और नींद के हिसार में था फिर एक रोज़ किसी ख़्वाब ने जगाया मुझे
Funny Shayari
अज्ञात

मत कर मेरे दोस्त हसीनों से मोहब्बत,
वो तो आँखों से वार करती हैं,
मैंने तेरी वाली की आँखों में देखा है,
वो तो मुझसे भी प्यार करती है!
~ अज्ञात

दिल में है जो बात किसी भी तरह कह डालिए,
ज़िन्दगी ही ना बीत जाए कहीं बताने मे………..!!!
~ अज्ञात
दिल में है जो बात किसी भी तरह कह डालिए, ज़िन्दगी ही ना बीत जाए कहीं बताने मे………..!!!

तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे
~ क़ैसर-उल जाफ़री
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे

आये हो जो आँखों में कुछ देर ठहर जाओ,
एक उम्र गुजरती है एक ख्वाब सजाने में………!!!
~ अज्ञात
आये हो जो आँखों में कुछ देर ठहर जाओ, एक उम्र गुजरती है एक ख्वाब सजाने में………!!!

तलब ये कि तुम मिल जाओ,
हसरत ये कि उम्र भर के लिये……!!!
~ अज्ञात
तलब ये कि तुम मिल जाओ, हसरत ये कि उम्र भर के लिये……!!!

बिन तेरे मेरी हर खुशी अधूरी है,
फिर सोच मेरे लिए तू कितनी जरूरी है !
~ अज्ञात
बिन तेरे मेरी हर खुशी अधूरी है, फिर सोच मेरे लिए तू कितनी जरूरी है !
Shakeel Badayuni
सितम-नवाज़ी-ए-पैहम है इश्क़ की फ़ितरत फ़ुज़ूल हुस्न पे तोहमत लगाई जाती है
View Shayariअज्ञात
जिंदगी ने हर मोड़ पर हमें आजमाया है, कभी दर्द दिया, तो कभी सब्र का फल चखाया है।
View Shayariवसी शाह
इस जुदाई में तुम अंदर से बिखर जाओगे किसी मा’ज़ूर को देखोगे तो याद आऊँगा
View Shayariरहमान फारिस
ख़मोश झील के पानी में वो उदासी थी कि दिल भी डूब गया रात माहताब के साथ
View ShayariShakeel Badayuni
अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे
View Shayariक़ैसर-उल जाफ़री
दीवारों से मिल कर रोना अच्छा लगता है हम भी पागल हो जाएँगे ऐसा लगता है
View Shayariवसीम बरेलवी
हमारे घर का पता पूछने से क्या हासिल उदासियों की कोई शहरियत नहीं होती
View Shayariपलकों के किनारे हमने भिगोये ही नहीं,
पलकों के किनारे हमने भिगोये ही नहीं, वो सोचते हैं कि हम रोये ही नहीं, वो पूछते हैं कि सपनो मैं किसे देखते हो, हम हैं कि इतने सालो से सोये ही नहीं।
अज्ञाततेरी मोहब्बत में धोखे का ज़हर था,
तेरी मोहब्बत में धोखे का ज़हर था, हमने समझा था इश्क, पर ये तो बस एक फरेब था।
अज्ञातबेवफा वक़्त था, तुम थे, या मेरा मुकद्दर,
बेवफा वक़्त था, तुम थे, या मेरा मुकद्दर, बात इतनी ही है कि अंजाम जुदाई निकला।
अज्ञातआइए बे-झिझक कहिये
आइए बे-झिझक कहिये बेवफ़ा मुझ को … मैं अब तुम्हारे बारे में कम कम सोचता हूँ…
अज्ञातअगर तुम्हें भी प्यार होता,
अगर तुम्हें भी प्यार होता, तो तुम मेरे पास जरूर आते, माना की मैं प्यार में पागल हूं, लेकिन भिखारी नहीं हूं…!!
अज्ञातकिसी को अगर दिल से,
किसी को अगर दिल से, अपना माना हो और वह हमें, अपना ना समझे तो आखें ही नहीं, दिल भी रो देता है…!!
अज्ञातप्यार एक तरह की भावनात्मक सच्चाई,
प्यार एक तरह की भावनात्मक सच्चाई, है जिसे हर कोई स्वीकार नहीं कर सकता…!!
अज्ञात
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❤️ अपनी भावनाओं को शायरी में ढालें ❤️
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"












































